इश्क दी गली सिर्फ तेरी इश्क़ की गुलामी में हूँ आज भी…वरना ये दिल एक अरसे तक नवाब रहा है……. मेरे मेहबूब यू इश्क़ में बहाने बनाना छोड़ दो,जाना है तो जाओ मगर किश्तों में आना छोड़ दो..!! सरकारी दफ्तर जैसे ….. तेवर हैं उनके ….मोहब्बत मांगो …. तो बोलते हैं कल आना ….. इश्क़ में सुकूँ कहाँ, बेकरारी ही बेकरारी है..हिस्से में कभी हमारी, कभी तुम्हारी बारी है.. नजाकत और गुरुर होना चाहिए इश्क मेंएक तरफा ही सही मगर सुरूर होना चाहिए इश्क में ! इज़हार ऐ इश्कतुम्ही करो तो बेहतर है..!!मेरे तो अल्फाजलड़खड़ा जाते हैंतुम्हे देख कर..!! अगला पन्ना