प्रेम रोग

पढ़ लेना प्रेम मेरा
महफ़िल में एकांत ढूंढ कर
मैं दिल मे छुपाकर लाया हूँ
खोल कर सहेज लेना
प्रेम पाती…जो
सबकी नजरों से बचाकर लाया हूँ

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मेरे कौन हो तुम. ??
मेरे एहसास हो तुम, उस प्रेम का,
जो उपजता है,पहली बार, नाजुक से ह्रदय में…….

स्पर्श हो तुम,उस स्नेह का, जो महसूस होता है,
किसी अपने के कंधे पर, सिर रखने में……

प्रतीक्षा हो तुम,उस मिलन की,
जो मेरे स्वप्नों में,है
मेरे ह्रदय में…….है

जो मेरे ह्रदय ने की थी, प्रेम की,प्रेम से,
उस कल्पना का, साक्षात हो,
यथार्थ हो तुम,
मेरा प्रेम हो तुम.

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हो जाऊ “तुमसे” दूर
फिर “मौहब्बत” किससे करुं

तुम हो जाओ नाराज”
फिर “शिकायत” किससे करूं

इस “दिल” में कुछ भी नहीं
तूम्हारी “चाहतों” के सिवा

अगर तुम्हें ही भूला “दूं तो फिर
प्यार ” किसे करु…

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मेरे पास नहीं, लेकिन मेरा एहसास बनी हो तुम,
यूं घुली हो मुझमें कि मेरी हर सांस बनी हो तुम।

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तुम खास ही नहीं
हर सांस में हो..!

रुबरु न सही
मेरे हर
एहसास में हो..!!

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ये नज़र नज़र की बात है
कि किसे क्या तलाश है..
तू हंसने को बेताब है..
मुझे तेरी मुस्कुराहटों
की प्यास है…

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तुझ से दूर रहकर…..
मोहब्बत बढ़ती जा रही हैं,
क्या कहूँ कैसे कहूँ…..
ये दुरी तुझे और करीब ला रही हैं

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ऐ-खुदा,
मेरी बेपनाह मोहब्बत में थोडा-सा ईमान डाल दे, .

मैंने खुद ही तराश लिया है उसे, बस तू उसमे जान डाल दे.

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ऐ-खुदा,
मेरी बेपनाह मोहब्बत में थोडा-सा ईमान डाल दे, .

मैंने खुद ही तराश लिया है उसे, बस तू उसमे जान डाल दे.

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प्रेम नहीं आशिकी का नाम दो उन्हें..
वो लोग जो दीदार के मोहताज है.

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