इंतज़ार “इंतज़ार रहता है तुम्हारा““कभी सब्र से कभी बेसब्री से“ कभी तुम अकेले में देखना तारों को,,,जो कोइ तारा तुम्हें देखकर टिमटिमाये समझ लेना वो मैं हूँ… चाहत है या दिल्लगी या यूँ ही मन भरमाया है,,,याद करोगे तुम भी कभी किससे दिल लगाया है… तुम अच्छे लगे ये आकर्षण था..तुम्हारे बाद कोई अच्छा नहीं लगा ..ये प्रेम है.. कभी हो सके तुमसे तो कोशिश करके देखनामुझे मेरी तरह चाहना फिर बताना कैसा लगता है थाम लेना तुम.. हाथ उसका जो तुम्हारे साथ जीने की चाहत रखता हो..तुम्हारे लिए मरने की बातें.. तो हजारों करेंगे..! तुमने रूह मे समा जाने को प्रेम कहामैंने साँसो मे बिखर जाने को प्रेम कहा,