चाय हम और तुम
जिंदगी बहुत आसान हो जाती हैं
जब परखने वाले नहीं,
साथ में चाय पीने वाले मिल जाते हैं…!!



बेख्याली में तुम्हारी मेरा मन यू बावला हुआ जाता है,
जैसे सोहबत में चाय पत्ती से सफेद दूध सांवला हुआ जाता है…!!!



चलो वक्त को थोड़ा खुशनुमा बनाते हैं,
आइये आपको अदरक वाली चाय पिलाते हैं।



चाय सी तासीर है मोहब्बत की,
हड़बड़ी में जला देगी ,चुस्कियों में मजा देगी ।
इलाज़– ए-ग़म जो #पूछा मैंने उस हक़ीम से,
धीमे से लहजे में बोला चाय पिया करो



चाय जैसी मोहब्बत है तुमसे,
आदत है इबादत है या नशा कह लो.



इंतज़ार का नजारा इतना प्यारा ना होता है,
अगर साथ में चाय का सहारा ना होता।



चलो एक कप चाय बनाते हैं तुम चीनी बनकर घुल जाना ..
हम पत्ती बनकर रगं जमाते है..



साहिबा.. आप मेरे साथ बैठकर चाय पी लो बस,, दुनियां वैसे ही जल जायेगी…



तेरी हद- ए – तलब ने ऐसा जुनून बख्शा है
ऐ “चाय“…
हम “नींद” में उठ बैठे हैं तुझे “ख्वाब” में
“बनता देखकर”…



बारिश फिज़ा तुम्हारी पसंदीदा चाय भी
मिलने के सब इशारे मिले तुम नहीं मिले..



उफ़ ये लम्हा चाय का ख्यालों में मेरे हमसफ़र
मुस्कुराता सा ये पल दिल लूटते हैं देखिए



ये दुनियाँ, ये गम, ये गफलत सब दो दिन की हवा है
ये चाय, ये प्याला, चंद चुस्कियां, हर मर्ज की दवा है।



किस बहाने से बुलाऊं तुम्हें मुलाक़ात पर, सुना है तुम तो चाय की शौकीन नहीं हो।


